वैश्विक स्तर पर विविध पाठ्यक्रम कर रहे विदेशी भारतीय छात्रों द्वारा न्यूनतम दो साल के कार्य प्राधिकरण की मांग की गई है। उन्होंने मांग की है कि भारत सरकार उन देशों से इस न्यूनतम वर्क परमिट को सुरक्षित करने की प्रक्रिया में शामिल हो जहां वे विदेशों में पढ़ रहे हैं। केंद्रीय विदेश मंत्रालय की संयुक्त सचिव वाणी एस राव ने कहा है कि भारत सरकार को दुनिया भर के कई छात्रों से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कार्य अनुभव प्राप्त करने में असमर्थता के संबंध में शिकायतें मिल रही हैं। श्रीमती राव प्रवासी भारतीय दिवस के पूर्ण सत्र में बोल रही थीं। संयुक्त सचिव ने यह भी बताया कि ब्रिटेन में भारतीय छात्रों को जिन मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, उससे ब्रिटेन के प्रधान मंत्री को उनकी हालिया भारत यात्रा के दौरान अवगत कराया गया था। राव ने कहा, यह मुद्दा अभी भी प्रक्रियाधीन है और किसी निष्कर्ष पर पहुंचना बाकी है। प्रवासी भारतीय दिवस का हिस्सा रहे अधिकारियों ने कहा है कि ब्रिटेन ने अभी तक उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत सरकार के अधिकारियों ने सूचित किया है कि उन्हें अमेरिका से लेकर स्कैंडिनेविया तक विभिन्न देशों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की शिकायतें मिली हैं, जिनके पास सख्त कार्य प्राधिकरण हैं। उनके द्वारा सामने आए आंकड़े बताते हैं कि भारत से 6.5 लाख से ज्यादा छात्र विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं। भारत में शिक्षा प्राप्त कर रहे एनआरआई छात्रों ने भी मांग की है कि भारतीय विश्वविद्यालयों में उनके लिए शुल्क संरचना कम की जाए। राव ने बताया कि उन्होंने शुल्क संरचना के मुद्दे पर भारतीय छात्रों के समान व्यवहार करने का अनुरोध किया है।