पर प्रविष्ट किया जनवरी 09 2018
भारतीय टेक पेशेवरों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में अमेरिका ने कहा कि एच-1बी वीजा विस्तार नीति में बदलाव नहीं किया जाएगा। अमेरिकी प्रशासन की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि वह ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप एच-1बी वीजा धारकों को निर्वासन करना पड़े।
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं द्वारा आज एच-1बी वीजा विस्तार नीति के लिए यथास्थिति की घोषणा की गई है। इससे पहले दुनिया भर की मीडिया में खबर आई थी कि अमेरिकी प्रशासन एच-1बी वीजा के नियमों को सख्त करने पर विचार कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप लगभग 7 भारतीयों को अमेरिका से निर्वासित किया जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि एच-50बी वीजा धारकों के लिए विस्तार नीति को समाप्त करने का प्रस्ताव किया जा रहा है।
यूएससीआईएस के मीडिया रिलेशंस के प्रमुख जोनाथन विथिंगटन ने कहा कि एजेंसी नियमों में किसी भी बदलाव की योजना नहीं बना रही है जो एच-1बी वीजा धारकों को अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर करेगी। उन्होंने कहा, 21वीं सदी के अधिनियम (एसी21) धारा 104 सी में प्रतिस्पर्धात्मकता के प्रावधानों को नहीं बदला जा रहा है। इस प्रतिमा में एच-1बी वीजा के लिए 6 साल की सीमा से अधिक विस्तार का प्रावधान है जो यूएससीआईएस द्वारा पेश किया जा सकता है।
यूएससीआईएस ने यह भी खुलासा किया है कि 1 में एच-2016बी वीजा के सबसे ज्यादा लाभार्थी भारतीय थे और उन्हें 1 वीजा मिले थे। चीन दूसरे स्थान पर था, जिसके नागरिकों को 26 वीजा प्राप्त हुए थे। भारत में आईटी पेशेवरों द्वारा एच-692बी वीजा की सबसे अधिक मांग है।
यूएससीआईएस द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि वह एच-1बी वीजा के विस्तार के लिए नीति में बदलाव के किसी प्रस्ताव पर कभी विचार नहीं कर रहा है। विन्गिंगटन ने कहा, कोई भी विचार कि यूएससीआईएस दबाव में अपना रुख बदल रहा है, पूरी तरह से गलत है।
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