पर प्रविष्ट किया दिसम्बर 26 2011
बैंगलोर: नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (एनएफएपी) सर्वेक्षण, 2011 के अनुसार, विभिन्न भारतीय उद्यमी, विशेष रूप से गुजराती, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार कर रहे हैं। एनएफएपी नीति अमेरिका की शीर्ष 50 वेंचर-फंडेड कंपनियों में अप्रवासी संस्थापकों और प्रमुख कर्मियों पर आधारित थी।
टीओआई के मुताबिक, शीर्ष 46 वेंचर-फंडेड कंपनियों की श्रेणी में आने वाली 23 कंपनियों में से 50 प्रतिशत में गुजराती अप्रवासी हैं। इसके अलावा, गुजरातियों ने अमेरिका में प्रति संगठन लगभग 150 काम के अवसर पैदा किए हैं, एनएफएपी के कार्यकारी निदेशक स्टुअर्ट एंडरसन ने उल्लेख किया कि गुजराती अमेरिकी अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। सर्वेक्षण से पता चला कि अधिकांश आप्रवासी भारत से थे, इसके बाद इज़राइल, कनाडा, ईरान और न्यूजीलैंड थे। उन्होंने यह भी कहा, "हालांकि अमेरिका ने उद्यमियों के देश के रूप में बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन उसे यह नहीं मानना चाहिए कि आव्रजन में नीतियों में सुधार के बिना यह जारी रहेगा।"
सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रवासी अमेरिकी अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग बन रहे हैं और विकास तथा नवप्रवर्तन को बढ़ावा दे रहे हैं। अमेरिका की शीर्ष 50 वेंचर-फंडेड कंपनियों में से लगभग 50 प्रतिशत को शुरू करने में अप्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ऐसे आप्रवासी लगभग 75 प्रतिशत शीर्ष कंपनियों में शीर्ष स्तर के प्रबंधन पदों या उत्पाद विकास टीमों पर कब्जा कर लेते हैं। यह सर्वेक्षण अमेरिका में शीर्ष 50 वेंचर-फंडेड कंपनियों पर आधारित था, जिन्हें वेंचर सोर्स, एक शोध संगठन द्वारा रैंक किया गया था, जिसके आधार पर - कंपनी की वृद्धि, सीईओ का सफल ट्रैक रिकॉर्ड; संस्थापकों और निवेशकों और जुटाई गई पूंजी। स्टॉक मार्केट में इन कंपनियों में से प्रत्येक का मूल्य लगभग 1 बिलियन डॉलर है। इसमें यह भी कहा गया है कि शीर्ष 48 वेंचर-फंडेड कंपनियों में से 50 प्रतिशत में न्यूनतम एक आप्रवासी संस्थापक था।
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